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जिक्र तेरा

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                                भूल से भी  नहीं करेंगे जिक्र तेरा किसी ओर के आगे,                                             मुझे तेरी ही नही तेरे नाम की भी परवाह है।

जिंदगी है इन पन्नो में....

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  अब इन खाली पन्नो से महोबत हो गई है अपनी कलाम और इसकी लिखवत से महोबत हो गई है पर में उसका नाम बार-बार लिख सकता हूं मैं पन्नो में अपने प्यार का इजहार कर सकता हूं मैं पन्नो में उससे बात कर सकता हूं मैं पन्नो में उसका साथ महसूस कर सकता हूं मैं पन्नो में उससे कुछ छुपा सकता हूं मैं पन्नो में मैं रूला सकता हूं मैं पन्नो में उपयोग हसा सकता हूं मैं पन्नो में गलतियां कर सकता हूं मैं पन्नो में माफ़ी माँग सकता हूँ मैं पन्नो में रो सकता हूं, अपने आंसू छिपा सकता हूं। बस अफसोस इस बात का है, कि ये पन्ने जिनमे में अपनी जिंदगी लिखता हूं, वो पलट का कभी जवाब क्यों नहीं देते, क्यों बेवजह सब कुछ सह जाते है।                                                           - Buddhubaksa

मां ..

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मां  मां शब्द बोल ही काफी होता है किसी इंसान के लिए। इस एक शब्द में सारी दुनिया समाई है, दुनिया की दोलत है इस नाम में। जीवन की शुरुआत है इस नाम में, तकलीफो में मरहम है ये, एक सुरक्षा है ये, एक एहसास है जो हमें बताता है कि हम कितने अच्छे हैं दूसरे से पहली पाठशाला है ये नाम। ऐसा ही एक नजारा था पिछले मदर्स डे पर। शहर में तेज हवा के साथ तेज बारिश हुई थी उस दिन। मैं अपने रूम की बालकानी में खड़ा चाय पी रहा था। हवाएं इतनी तेज थी कि उसमें किसी  खड़ा रहना मुश्किल था। पेड़ झूम रहे थे। तबी मेरी नजर पास के एक मकान पर बैठी पक्षी (चिड़िया) पर गई। वो अपने घोसले में बैठी थी और, तेज हवा और पानी से दो-दो हाथ कर रही थी। मुझे समझा नहीं पाया कि वो भीग क्यो रही है, फिर देखा कि उसने घोसले में अंडे दिए हुए हैं, वो अपने मां होने का फर्ज़ निभा रही थी। वो अपने  अंडों पर एक सुरक्षा कवच की तरह बैठी थी। वो एक पल के लिए भी टस  से मस नहीं हुई, फिकर थी अपने उन बच्चों की, जो अभी इस दुनिया में आए भी नहीं थे, और वो ये भी जानती  है कि, ये बच्चे एक दिन पंख...

wo ek ladaki hai...

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उसे भी जीने दो वो एक लड़की है उसे भी जीने दो वो एक मां भी है जीने दो हम बहन हम बेटी को, जीने दो... वो जनता है कि जब वो पैदा हुई थी तब खुशियां नहीं मनाई गई थी वो जनता है कि उसके पैदा हुआ पर कुछ लोग खुश नहीं थे, लेकिन उसे किसी से कोई शिकायत नहीं है। वो जनता है कि उसके अदा होने पर शायद तुम्हारा कुछ नुक्सान हुआ हो! इसके लिए वो माफ़ी चाहती है। वो जनता है कि वो तुम्हारे बैतो की तरह तुम्हारी उम्मिदों पर शायद खड़ी नहीं उतारेगी। लेकिन वो कमजोर नहीं है... धान्यवाद देता हूं उन्हें जिन्होने उसे अपनाया है, उसे इस दुनिया में आने दिया है। भरोसा दिलात हूं, वो अपना हर रिश्ता निभाऊंगा जिंदगी के हर मोड़ पर, कभी बेटी बहन, मां और पत्नी बनकर, हर मुश्किल में तुम्हारा साथ निभाएंगी। वो भी उन माओ की तरह भगत सिंह, चंद्रशेखर, राजगुरु, जैसे सपुतो को जन्म देगी। हां वो भी गांधी की मां बनेगी। वो मां है कभी कुछ नहीं मांगेगी, फिर भी अगर देना चाहो तो बस.. "Use Jine do wo ek ladaki hai  Uski Hifajat karo wo ek MAA hai."    - --Buddhubaksa 

एक सवाल

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                                                    जब भी मिले वो हमसे, एक हिचकिचाहट थी उनकी आंखों में। उनकी वो दबी-दबी सी मुस्कान, मजबूर कर देती है ये सोचने पर कि उनकी मुस्कान उनकी आंखों तक क्यों नहीं पहुचती..? आखिर क्या वजह थी...? हर बार कुछ डरे-डरे से लगे वो मुझे उनके हर लब्ज़ अधूरे- अधूरे से लगे मुझे वो दिखाना क्या चाहते थे और नज़र क्या आता था मुझे आखिर क्या कहना चाहते थे वो मुझे..? उनकी बातें कुछ दबी-दबी सी लागी मुझे,                                                             हर बार हर मुलाकात अधूरी सी लागी मुझे।                                       Buddhubaksa  ...

Safar me....

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Dhundhane Nikla tha Use,  Uske hi is Jahan me. Thanha bilkul tanha Khada tha me Uske is Jahan me. Na Rasta thaNa Manzil ka pta, Fir bhi chalta rha ye soch kar ki wo hai  aur yahi hai. Fir kisi din ek mod par mila mujhse wo apna chahra badal kar, apne hi is jahan me  chup rah kar bhi sab kuch kah gya wo ,tanha mujhe kar gya wo apne hi is jahan me. --BUDDHUBAKSA

सबसे अलग

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वो सबसे अलग है। उसकी हर बात अलग है। अलग करती है, जो ऑरो से यूज उसकी एक मुस्कान है। उसकी हर एक अड्डा अलग है। उसका गम छिपाने का अंदाज अलग है। अपनी बात सुनाने का अंदाज अलग है।  रूठने और मनाने का अंदाज अलग है। by- buddhubaksa