मां मां शब्द बोल ही काफी होता है किसी इंसान के लिए। इस एक शब्द में सारी दुनिया समाई है, दुनिया की दोलत है इस नाम में। जीवन की शुरुआत है इस नाम में, तकलीफो में मरहम है ये, एक सुरक्षा है ये, एक एहसास है जो हमें बताता है कि हम कितने अच्छे हैं दूसरे से पहली पाठशाला है ये नाम। ऐसा ही एक नजारा था पिछले मदर्स डे पर। शहर में तेज हवा के साथ तेज बारिश हुई थी उस दिन। मैं अपने रूम की बालकानी में खड़ा चाय पी रहा था। हवाएं इतनी तेज थी कि उसमें किसी खड़ा रहना मुश्किल था। पेड़ झूम रहे थे। तबी मेरी नजर पास के एक मकान पर बैठी पक्षी (चिड़िया) पर गई। वो अपने घोसले में बैठी थी और, तेज हवा और पानी से दो-दो हाथ कर रही थी। मुझे समझा नहीं पाया कि वो भीग क्यो रही है, फिर देखा कि उसने घोसले में अंडे दिए हुए हैं, वो अपने मां होने का फर्ज़ निभा रही थी। वो अपने अंडों पर एक सुरक्षा कवच की तरह बैठी थी। वो एक पल के लिए भी टस से मस नहीं हुई, फिकर थी अपने उन बच्चों की, जो अभी इस दुनिया में आए भी नहीं थे, और वो ये भी जानती है कि, ये बच्चे एक दिन पंख...