जिंदगी है इन पन्नो में....
अब इन खाली पन्नो से महोबत हो गई है अपनी कलाम और इसकी लिखवत से महोबत हो गई है पर में उसका नाम बार-बार लिख सकता हूं मैं पन्नो में अपने प्यार का इजहार कर सकता हूं मैं पन्नो में उससे बात कर सकता हूं मैं पन्नो में उसका साथ महसूस कर सकता हूं मैं पन्नो में उससे कुछ छुपा सकता हूं मैं पन्नो में मैं रूला सकता हूं मैं पन्नो में उपयोग हसा सकता हूं मैं पन्नो में गलतियां कर सकता हूं मैं पन्नो में माफ़ी माँग सकता हूँ मैं पन्नो में रो सकता हूं, अपने आंसू छिपा सकता हूं। बस अफसोस इस बात का है, कि ये पन्ने जिनमे में अपनी जिंदगी लिखता हूं, वो पलट का कभी जवाब क्यों नहीं देते, क्यों बेवजह सब कुछ सह जाते है। - Buddhubaksa